Wednesday, May 12, 2010

4. कुष्मांडा~~~

4. कुष्मांडा~~~

चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है।


चतुर्थ " कुषमांडा सुखधाम"~~~

कुषमांडा जै जग सुखदानी~
मुझ पर दया करो महांरानी~~

पिंगला ज्वालामुखी निराली~
शाकम्बरी मां भोली भाली~~

लाखों नाम निराले तेरे~
भक्त कई मतवाले तेरे~~

भीमा पर्वत पर है डेरा~
स्वीकारो प्रणाम ये मेरे~~

सब की सुनती हो जगदम्बे~
सुख पहुंचाती हो मां अम्बे~~

तेरे दर्शन का मैं प्यासा~
पूर्ण कर दो मेरी आशा~~

मां के मन में ममता भारी~
क्यों न सुने अरज हमारी~~

तेरे दर पर किया है डेरा~
दूर करो मां संकट मेरा~~

मेरे कारज पूरे कर दो~
मेरे तुम भण्डारे भर दो~~

तेरा दास तुझे ही ध्याए~
चमन तेरे दर शीश झुकाए~~

जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~

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