9~ सिद्धिदात्री~~~
माँ सिद्धिदात्री की आराधना नवरात्र की नवमी के दिन की जाती है। इनकी आराधना से जातक को अणिमा, लधिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व, सर्वकामावसायिता, दूर श्रवण, परकामा प्रवेश, वाकसिद्ध, अमरत्व भावना सिद्धि आदि समस्त सिद्धियों नव निधियों की प्राप्ति होती है। आज के युग में इतना कठिन तप तो कोई नहीं कर सकता लेकिन अपनी शक्तिनुसार जप, तप, पूजा-अर्चना कर कुछ तो माँ की कृपा का पात्र बनता ही है। वाकसिद्धि व शत्रु नाश हेतु मंत्र भी बता दें। इनका विधि-विधान से पूजन-जाप करने से निश्चित फल मिलता है।
नौवीं सिद्धि दात्री जग जाने~~~
जै सिद्धि दात्री मां तूं है सिद्धि की दाता~
तूं भक्तों की रक्षक तूं दासों की माता~~
तेरा नाम लेटे ही मिलती है सिद्धि~
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि~~
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम~
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम~~
तेरी पूजा में तो न कोई विधि है~
तूं जगदम्बे दाती तूं सर्व सिद्धि है~~
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो~
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो~~
तूं सब काज उसके करती हो पूरे~
कभी काम उसके रहे न अधूरे~~
तुम्हारी दया और तुम्हारी है माया~
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया~~
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्य शाली~
जो है तेरे दर का ही अम्बे सवाली~~
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा~
महा नन्दा मंदिर में है वास तेरा~~
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता~
चमन है सवाली तूं जिसकी दाता~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
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