6~कात्यायनी~~~
माँ का छठा रूप कात्यायनी है। छठे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनके पूजन से अद्भुत शक्ति का संचार होता है व दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती हैं। इनका ध्यान गोधुली बेला में करना होता है।
छटी कात्यायनी विख्याता~~~
जै अम्बे जै जै कात्यायनी~
जै जगदाता जग की महारानी~~
बैजनाथ स्थान तुम्हारा~
वहां वरदाती नाम पुकारा~~
कई नाम है कई धाम है~
यह स्थान भी तो सुखधाम है~~
हर मंदिर में जोत तुम्हारी~
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी~~
हर जगह उत्सव होते रहते~
हर मंदिर में भक्त है कहते~~
कात्यायनी रक्षक काया की~
ग्रन्थी काटे मोह माया की~~
झूठे मोह से छुङाने वाली~
अपना नाम जपाने वाली~~
ब्रहस्पतिवार को पूजा करियों~
ध्यान कात्यायनी का धरियों~~
हर संकट को दूर करेगी~
भण्डारे भरपूर करेगी~~
जो भी मां को चमन पुकारें~
कात्यायनी सब कष्ट निवारे~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
No comments:
Post a Comment