4. कुष्मांडा~~~
चतुर्थी के दिन माँ कुष्मांडा की आराधना की जाती है। इनकी उपासना से सिद्धियों में निधियों को प्राप्त कर समस्त रोग-शोक दूर होकर आयु-यश में वृद्धि होती है।
चतुर्थ " कुषमांडा सुखधाम"~~~
कुषमांडा जै जग सुखदानी~
मुझ पर दया करो महांरानी~~
पिंगला ज्वालामुखी निराली~
शाकम्बरी मां भोली भाली~~
लाखों नाम निराले तेरे~
भक्त कई मतवाले तेरे~~
भीमा पर्वत पर है डेरा~
स्वीकारो प्रणाम ये मेरे~~
सब की सुनती हो जगदम्बे~
सुख पहुंचाती हो मां अम्बे~~
तेरे दर्शन का मैं प्यासा~
पूर्ण कर दो मेरी आशा~~
मां के मन में ममता भारी~
क्यों न सुने अरज हमारी~~
तेरे दर पर किया है डेरा~
दूर करो मां संकट मेरा~~
मेरे कारज पूरे कर दो~
मेरे तुम भण्डारे भर दो~~
तेरा दास तुझे ही ध्याए~
चमन तेरे दर शीश झुकाए~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~जय माता दी~~~
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