Friday, August 7, 2009

कुंडली में योग और आपका करियर

कुंडली में योग और आपका करियर करियर निर्धारण में सबसे प्रमुख चीज है सही विषय का चुनाव! बच्चे की जिस विषय में [साइंस, आट्र्स या कॉमर्स] सबसे ज्यादा रूचि होगी, उसी में वह अपनी प्रतिभा का सही प्रदर्शन कर सकेगा और उसका करियर भी उज्ज्वल होगा। दूसरा तरीका है किसी विशेषज्ञ की सलाह लें। यदि आप चाहें, तो ज्योतिष की सहायता से भी करियर निर्धारण में सहायता ले सकते हैं।करियर निर्धारण में जन्म कुंडली से दशम भाव एवं दशमेश, दशमेश की नवांश राशि का स्वामी ग्रह और कुंडली में बनने वाले अन्य योगों से करियर निर्धारण में मदद मिलती है।
इंजीनियर बनने के योगज्योतिषशास्त्र में सूर्य, मंगल, शनि व राहु-केतु को पाप ग्रह माना है, किंतु पंचम भाव या पंचमेश से संबंध करने पर ये ग्रह जातक की तकनीकी क्षमता बढ़ा देते हैं। दशम भाव या दशमेश से मंगल, शनि, राहु-केतु का संबंध होने पर जातक को तकनीकी क्षेत्र में आजीविका मिलती है। अर्थात वह इंजीनियरिंग के क्षेत्र में सफल होता है।
डॉक्टर बनने के योगसूर्य स्वास्थ्य का कारक माना गया है। मंगल भुजबल, उत्साह व कार्य शक्ति का कारक है। गुरू ज्ञान और सुख का। इसलिए सूर्य, मंगल व गुरू यदि जन्म कुंडली में बली हों, तो व्यक्ति कुशल चिकित्सक बनता है।
वकील या न्यायाधीश बनने के योगनवम भाव द्वारा धर्म, नीति-नियम व न्याय प्रियता का तथा षष्ठ भाव से कोर्ट कचहरी संबंधी विवादों का विचार किया जाता है। दशमेश का नवम या षष्ठ भाव से संबंध होने पर व्यक्ति वकील बनता है। दंड व सुख का कारक शनि, यदि दशम भाव में उच्चस्थ हो अथवा गुरू उच्चस्थ या स्वक्षेत्री होकर, दशम भाव या दशमेश से दृष्टि-युति संबंध करें, तो जातक वकील या जज बनता है।
उद्योगपति व व्यवसायी बनने के योगसूर्य, चंद्र व मंगल इस वर्ग के महžवपूर्ण कारक ग्रह हैं। व्यापार का कारक बुध को माना गया है। कुंडली में प्रबल धन योग, जातक को कुशल व्यवसायी या उद्योगपति के रू प में प्रतिष्ठित कर उसे धनी बनाता है।
सेना या पुलिस अधिकारी बनने के योगमंगल को बल, पराक्रम व साहस का प्रतीक माना है। कुंडली में मंगल बली होने पर जातक को सेना या पुलिस में करियर प्राप्त कराता है। दशमेश या दशमेश का नियंत्रक मंगल जातक को सेना या पुलिस में आजीविका दिलाता है और उसका कòरियर सफल रहता है।

सीए बनने के योगबुध का संबंध व्यापारिक खातों से तथा गुरू का संबंध उच्च शिक्षा, परामर्श एवं मंत्रणा से है। बुध व गुरू का बली होकर दशम भाव से संबंध करना जातक को लेखाकर (सीए) बनाता है। द्वितीय भाव का संबंध वित्त व वित्तीय प्रबंध से है। बुध का संबंध द्वितीय, पंचम अथवा दशम भाव से हो तो चार्टर्ड एकाउंटेंट बनाता है।
बैंक अधिकारीकुंडली में यदि बुध, गुरू व द्वितीयेश का दृष्टि-युति संबंध दशम भाव या दशमेश से हो, तो जातक बैंक अधिकारी, वित्त प्रबंधक या लेखाकार बनता है। गुरू मंत्रणा का नैसर्गिक कारक ग्रह यदि दशम भाव, पंचम भाव, बुध या द्वितीय भाव से संबंध करे, तब भी जातक लेखाकार बनकर धन व मान-प्रतिष्ठा पाता है।
लेक्चरार या प्रोफेसर बनने के योगपंचमेश व चतुर्थेश का राशि परिवर्तन, दशमेश शुक्र का लाभस्थ होकर पंचम भाव को देखना तथा पंचमेश गुरू की दशम भाव पर दृष्टि, शिक्षा के क्षेत्र से आजीविका का योग बनाती है। दशमेश का संबंध बुध व गुरू से होने पर जातक लेक्चरार बनता है।पूर्ण जानकारी के लिए किसी विशेषज्ञ की सलाह लें।

No comments: