Saturday, May 12, 2012

सावन में भगवान पार्थिव लिंग के अभिषेक

सावन में भगवान पार्थिव लिंग के अभिषेक

शिव की प्रसन्नता के लिए शिव स्तुति और स्त्रोत का पाठ करने का विशेष महत्व है। इन स्त्रोतों में शिव महिम्र स्त्रोत सबसे प्रभावी माना जाता है। इस स्त्रोत का पूरा पाठ तो शुभ फल देने वाला है ही, बल्कि यह ऐसा देव स्त्रोत है, जिसका कामना विशेष की पूर्ति के लिए प्रयोग भी निश्चित फल देने वाला होता है।
शिव महिम्र स्त्रोत के इन प्रयोगों में एक है - पुत्र प्राप्ति प्रयोग। पुत्र की प्राप्ति दांपत्य जीवन का सबसे बड़ा सुख माना जाता है। इसलिए हर दंपत्ति ईश्वर से पुत्र प्राप्ति की कामना करता है। अनेक नि:संतान दंपत्ति भी पुत्र प्राप्ति के लिए धार्मिक उपाय अपनाते हैं। शास्त्रों में शिव महिम्र स्त्रोत के पाठ से पुत्र प्राप्ति का उपाय बताया है। जानते है प्रयोग विधि -
- पुत्र प्राप्ति का यह उपाय विशेष तौर पर सावन माह से शुरु करें।
- स्त्री और पुरुष दोनों सुबह जल्दी उठे। स्त्री इस दिन उपवास रखे।
- पति-पत्नी दोनों साथ मिलकर गेंहू के आटे से ११ पार्थिव लिंग बनाए। पार्थिव लिंग विशेष मिट्टी के बनाए जाते हैं।
- पार्थिव लिंग को बनाने के बाद इनका शिव महिम्र स्त्रोत के श्लोकों से पूजा और अभिषेक के ११ पाठ स्वयं करें। अगर ऐसा संभव न हो तो पूजा और अभिषेक के लिए सबसे श्रेष्ठ उपाय है कि यह कर्म किसी विद्वान ब्राह्मण से कराएं। पार्थिव लिंग निर्माण और पूजा भी ब्राह्मण के बताए अनुसार कर सकते हैं।
- पार्थिव लिंग के अभिषेक का पवित्र जल पति-पत्नी दोनों पीएं और शिव से पुत्र पाने के लिए प्रार्थना करें।
- यह प्रयोग २१ या ४१ दिन तक पूरी श्रद्धा और भक्ति से करने पर शिव कृपा से पुत्र जन्म की कामना शीघ्र ही पूरी होती है।

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